Thursday 11 October 2018

न्यू फरक्का एक्प्रेस हादसा

न्यू फरक्का एक्सप्रेस हादसाः साल की दूसरी सबसे बड़ी रेल दुर्घटना, जानें सबकुछ

एजेंसी,नई दिल्लीUpdated: Wed, 10 Oct 2018 08:12 PM IST
बुधवार को न्यू फरक्का एक्सप्रेस के पटरी से उतरने की घटना इस साल की दूसरी सबसे बड़ी रेल दुर्घटना है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, रेल संरक्षा के लिहाज से वर्ष 2018 पिछले पांच साल में सबसे अच्छा साबित हुआ है।  इस साल की पहली बड़ी रेल दुर्घटना 26 अप्रैल को हुई थी जब उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले में मानवरहित रेलवे क्रॉसिंग पर एक स्कूल वैन ट्रेन की चपेट में आ गई थी जिसमें 13 स्कूली बच्चे मारे गए थे। उत्तर प्रदेश के रायबरेली के पास बुधवार को न्यू फरक्का एक्सप्रेस के नौ डिब्बे और इंजन के पटरी से उतर जाने के कारण सात लोग मारे गए और नौ अन्य गंभीर रूप से घायल हुए। 
सितंबर 2017 और अगस्त 2018 के बीच हुई 75 रेल दुर्घटनाओं में 40 लोग मारे गए हैं। आंकड़ों के मुताबिक, इस 12 महीने की अवधि में संरक्षा के लिहाज से रेलवे ने पांच साल में सबसे बेहतर प्रदर्शन किया है।
-सितंबर 2016 और अगस्त 2017 के बीच 80 रेल दुर्घटनाएं हुईं जिनमें 249 लोग मारे गए। नवंबर 2016 में कानपुर के पास इंदौर-पटना एक्सप्रेस के पटरी से उतरने की घटना में 150 से ज्यादा यात्री मारे गए थे। 
-सितंबर 2017 और अगस्त 2018 के बीच रेल हादसों में 40 लोगों ने अपनी जान गंवाई।
-अगस्त 2017 में उत्कल एक्सप्रेस के पटरी से उतर जाने के कारण 22 लोग मारे गए थे। 
-सितंबर 2013 और अगस्त 2014 के बीच 139 रेल हादसों में 275 लोगों ने जान गंवाई थी जबकि सितंबर 2014 और अगस्त 2015 के बीच 108 रेल हादसों में 196 लोग मारे गए थे। 
 -वर्ष 2017-18 में बाकी 36 मौतें अन्य कारणों से हुई जिनमें मानवरहित लेवल क्रॉसिंग पर दुर्घटना में 28 जानें गईं, मानवयुक्त लेवल क्रॉसिंग पर दुर्घटना में छह मौतें हुईं, एक व्यक्ति की मौत डिब्बे में आग लगने से हुई जबकि एक की मौत किसी अन्य दुर्घटना में हुई। आधिकारिक आंकड़ों से यह जानकारी मिली।
पांच वर्षों में हुए बड़े रेल हादसे
10 अक्टूबर, 2018- यूपी के रायबरेली जिले में न्यू फरक्का एक्सप्रेस के पटरी से उतरने से सात लोगों की मौत।
19 अगस्त, 2017- यूपी के मुजफ्फरनगर जनपद के खतौली में कलिंग-उत्कल एक्सप्रेस पटरी से उतरी, 20 मरे।
22 जनवरी, 2017- आंध्र प्रदेश के विजयनगरम जिले में हीराखंड एक्सप्रेस के आठ डिब्बे पटरी से उतरे, करीब 40 की मौत।
20 नवंबर, 2016- यूपी के कानपुर के पास पुखरायां में पटना-इंदौर एक्सप्रेस के 14 कोच पटरी से उतरे, 150 लोग मारे गए।
20 मार्च, 2015- यूपी के बछरावां में देहरादून से वाराणसी जा रही जनता एक्सप्रेस के बेपटरी होने से 36 लोगों की मौत।
04 मई, 2014- महाराष्ट्र के नागोठाने और रोहा स्टेशन के बीच दिवा सावंतवादी पैसेंजर ट्रेन पटरी से उतरी, 20 लोगों की जान गई।
पांच साल में 2018 में सबसे कम हादसे
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, रेल संरक्षा के लिहाज से वर्ष 2018 पिछले पांच साल में सबसे अच्छा साबित हुआ है। उसमें भी पिछले साल की तुलना में इस वर्ष रेल दुर्घटनाओं में कमी आई है। सितंबर 2017 और अगस्त 2018 के बीच हुई 75 रेल दुर्घटनाओं में 40 लोग मारे गए, जबकि सितंबर 2016 और अगस्त 2017 के बीच 80 रेल दुर्घटनाओं में 249 लोगों की जान गई थीन। इससे पूर्व के वर्षों में सितंबर 2013 और अगस्त 2014 के बीच 139 रेल हादसों में 275 लोगों ने जान गंवाई थी, जबकि सितंबर 2014 और अगस्त 2015 के बीच 108 रेल हादसों में 196 लोग मारे गए थे। 
हेल्पलाइन नंबर
एडीजी ने बताया कि दुर्घटना में किसी आतंकी साजिश के पहलू की जांच के लिये एटीएस की टीम भी मौके पर भेजी गयी है। हादसे के बाद उत्तर रेलवे ने हेल्पलाइन नंबरों की घोषणा की है। जनसंपर्क अधिकारी विक्रम सिंह के अनुसार वाराणसी हेल्पलाइन नंबर 0542 2503814, लखनऊ हेल्पलाइन नंबर 9794830975, 9794830973, प्रतापगढ़ हेल्पलाइन नंबर 05342 220492 और रायबरेली के लिए हेल्पलाइन नंबर 0535 2213154 है। हादसे के कारण इस मार्ग की सभी अप और डाउन लाइनों पर यातायात बाधित है। दुर्घटना के कारण 13 ट्रेनों के मार्ग में परिवर्तन किया गया है।
रूट डायवर्ज़न
हादसे के बाद उत्तर रेलवे ने पांच ट्रेनें पूर्ण या आंशिक रूप से रद्द कर दीं जबकि नौ अन्य ट्रेनों का मार्ग परिवर्तित किया गया है। उत्तर मध्य रेलवे के जनसंपर्क अधिकारी के मुताबिक वाराणसी लखनऊ इंटरसिटी एक्सप्रेस तथा प्रयाग बरेली यात्री ट्रेनों को आंशिक रूप से रद्द किया गया है। वहीं लखनऊ इलाहाबाद गंगा गोमती एक्सप्रेस, लखनऊ प्रयाग इंटरसिटी एक्सप्रेस तथा कानपुर प्रतापगढ़ एक्सप्रेस को पूरी तरह रद्द कर दिया गया है।
इन ट्रेनों के मार्ग में परिवर्तन
प्रतापगढ़ कानपुर सेंट्रल एक्सप्रेस, सहारनपुर इलाहाबाद नौचंदी एक्सप्रेस, दिल्ली प्रतापगढ़ पदमावत एक्सप्रेस, देहरादून वाराणसी एक्सप्रेस, भोपाल प्रतापगढ़ एक्सप्रेस, संगरौली बरेली त्रिवेणी एक्सप्रेस, अमृतसर हावड़ा मेल, वाराणसी देहरादून एक्सप्रेस तथा इलाहाबाद लखनऊ गंगा गोमती एक्सप्रेस शामिल हैं। रेलवे अधिकारियों के अनुसार पटरियों पर से डिब्बे हटाने तथा राहत बचाव का काम जारी है।

Sunday 15 April 2018

IRCTC ने मिलाया OLA से हाथ

IRCTC और OLA ने मिलाया हाथ, यात्रियों को मिलेगी ये बड़ी सुविधा, जानें

एजेंसी,नई दिल्लीUpdated: Wed, 21 Mar 2018 07:02 PM IST
इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कारपोरेशन लिमिटेड (आईआरसीटीसी) ने अपने प्लेटफार्म और ऐप पर कैब बुकिंग उपलब्ध कराने के लिए ओला के साथ करार किया है।
ओला ने यहां जारी बयान में कहा कि इसके तहत आईआरसीटीसी की वेबसाइट या ऐप पर अब ओला कैब की बुकिंग की जा सकेगी। इसके लिए दोनों कंपनियों ने मंगलवार को इच्छा पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं।
7 दिन पहले कर पाएंगे बुक
इसके माध्यम से यात्री ओला कैब के साथ ही ओला ऑटो और ओला शेयर आदि की बुकिंग कर सकेंगे। यात्री 7 दिन पहले या रेलवे स्टेशन पहुंचने पर कैब बुक कर सकेंगे। 
कैसे होगी कैब बुकिंग
कैब बुक करने के लिए यात्रियों को आईआरसीटीसी एप या वेबसाइट पर लॉगिन करना होगा। लोग इन करने के बाद सर्विस स्टेशन पर क्लिक करें। इसके बाद आपको बुक ए कैब का विकल्प दिखाई देगा। इस विकल्प का चयन कर के अपने हिसाब से कैब चुन सकते हैं। अपनी जरुरत के हिसाब से डिटेल भरने के बाद बुकिंग कन्फर्म कर दें।

यार्ड में खड़ी हमसफ़र और यात्री हो रहे परेशान

इलाहाबाद: जानें क्यों 'हमसफर' यार्ड में और हजारों मुसाफिर वेटिंग में

इलाहाबाद। वरिष्ठ संवाददाताUpdated: Wed, 21 Mar 2018 04:23 PM IST
दिल्ली (आनंद विहार) के लिए इलाहाबाद से नई एसी ट्रेन हमसफर एक्सप्रेस चले तो मुसाफिरों की परेशानी दूर हो। ट्रेन पूरी तरह तैयार सूबेदारगंज में खड़ी है। सिर्फ चलने का इंतजार है। ट्राई वीकली ट्रेन चल जाए तो दिल्ली के मुसाफिरों को हफ्ते में छह दिन जंक्शन से चलने वाली दो ट्रेनें मिल जाएं। अभी हफ्ते में तीन दिन ही जंक्शन से चलने वाली दो ट्रेनें उपलबध हैं। ऐसे में यात्री वेटिंग टिकट पर सफर करने को मजबूर हैं।
दिल्ली के लिए जंक्शन से यूं तो 56 ट्रेनें हैं, लेकिन पीछे से आने वाली ट्रेनों में शहरियों को सीटें कम ही मिल पाती हैं। शिवगंगा, रीवांचल, मडुवाडीह एक्सप्रेस, ब्रह्मपुत्र मेल, महाबोधि, पूर्वा एक्सप्रेस आदि ट्रेनों में बड़ी संख्या में इलाहाबाद के लोग दिल्ली के लिए चढ़ते हैं। जंक्शन से चलने वाली सिर्फ एक ट्रेन प्रयागराज एक्सप्रेस ही रोजाना उपलब्ध है। हफ्ते में तीन दिन मंगलवार्, गुरुवार और रविवार को दूरंतो चलती है। 
सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को जंक्शन से एक ही ट्रेन चलने से प्रयागराज एक्सप्रेस और पीछे से आने वाली ट्रेनों में यात्री वेटिंग टिकट पर सफर को मजबूर हो रहे हैं। शुक्रवार को तो प्रयागराज में सीटों के लिए बड़ी मारामारी होती है। खासकर एसी कोचों में। इस दिन वीआईपी कोटे के लिए भी दबाव बहुत अधिक होता है। रेलवे ने इस परेशानी को देखते हुए ही ट्राईवीकली हमसफर एक्सपेस सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को चलाने का ऐलान किया। पर ट्रेन आकर डेढ़ माह से भी अधिक समय से सूबेदारगंज में ठहरी है। 
फरवरी में रोजाना 20 हजार से ज्यादा यात्री
बीते फरवरी महीने में जंक्शन से औसतन रोजाना 20 हजार से भी ज्यादा यात्री दिल्ली को निकले। रेलवे के रिजर्वेशन के आंकड़ों के अनुसार पहली से 28 फरवरी तक जंक्शन से दिल्ली के 5,77,284 यात्री निकले। शादियों का सीजन और होली का आगा होने से यात्री इस महीने में बढ़े रहे। दिल्ली के लिए जंक्शन से यूं भी रोजाना 12 से 15 हजार यात्री होते हैं। इनमें से तीन से चार हजार लोग वेटिंग टिकट लेकर सफर करने को मजबूर हैँ। 
पीएमओ से हरी झंडी मिलने का इंतजार
हमसफर एक्सप्रेस जनवरी अंत में ही आ चुकी है। 10 दिन में फिटनेस जांच के बाद ट्रेन चलने के लिए तैयार हो गई। अफसरों ने फरवरी में ही उद्घाटन समारोह कराने की तैयारी शुरू की लेकिन उपचुनाव की आचार संहिता लागू हो गई। जीएम ने बिना उद्घाटन ट्रेन चलाने का भरोसा दिया लेकिन रेल मंत्रालय से मंजूरी नहीं मिली। आचार संहिता खत्म होने के बाद भी ट्रेन नहीं चलने से यात्री परेशान हैं। नाम नहीं छापने की शर्त पर एक अफसर ने बताया कि पीएम दफ्तर से रेल मंत्रालय को मंजूरी मिलने पर ही ट्रेन चलाई जा सकेगी।
1296 सीटों की ट्रेन कम करेगी परेशानी
जंक्शन से हमसफर एक्सप्रेस चल जाए तो दिल्ली के यात्रियों को काफी राहत होगी। एसी थ्री के 16 कोच वाली ट्रेन में 1296 सीटें होंगी। इतनी सीटों से यात्रियों को बड़ी राहत मिल सकेगी। इस ट्रेन के थ्री एसी कोच दूसरी ट्रेनों की तुलना में ज्यादा आरामदायक हैं।

Saturday 14 April 2018

लोहानी के इस पत्र ने उड़ाई रेल अधिकारीयों की नींद

जानें, क्यों रेलवे बोर्ड चेयरमैन अश्विनी लोहानी के इस पत्र ने रेल अधिकारियों की नींद उड़ाई?

बरेली। हिन्दुस्तान संवादUpdated: Sun, 08 Apr 2018 02:05 PM IST
बरेली। रेलवे बोडे के चेयरमैन अश्विनी लोहानी के एक पत्र ने रेल अधिकारियों की नींद उड़ा दी है। लोहानी का कहना है कि अधिकारी छोटे कर्मचारियों की आवाज को दबाते हैं। अक्सर निरीक्षण के समय यह देखा जाता है। अगर कर्मचारी कुछ समस्या बताना चाहता है तो उसे संबंधित विभाग के अधिकारी धमका देते हैं। बाद में कर्मचारी को ऑफिस में बुलाकर प्रताड़ित किया जाता है। अब ऐसा नहीं चलेगा। अगर कर्मचारी निरीक्षण के समय कुछ बताना चाहता है तो उसकी बात को सुना जाए। अगर अधिकारी कर्मचारी को धमकाएंगे, तो ऐसे अधिकारियों को किसी हाल में नहीं छोड़ा जाएगा। मैं कार्रवाई के बाध्य हूंगा। 
चेयरमैन का पत्र सभी रेल मंडल प्रबंधकों और ब्रांच अधिकारियों को पत्र जारी करके निर्देश दिए हैं कि भविष्य में ऐसा न करें। कर्मचारियों और मेरे बीच पारस्परिक विचार-विमर्श में छेद करके चुपके से रेल को डुबाने का प्रयास न किया जाए। कर्मचारी ही रेल की रीढ़ हैं। मैं बिना रीढ़ की हड्डी वाले और अति दुर्बल अधिकारियों से घृणा करता हूं। जो अपनी लापरवाही छुपाने को कर्मचारियों की आवाज को दबाते हैं। 

2020 से ट्रेन न धीमी होगी और न लेट चलेगी : लोहानी

2020 से ट्रेन न लेट होंगी और न धीमी चलेंगी : लोहानी

अरविंद सिंह,नई दिल्लीUpdated: Mon, 09 Apr 2018 12:31 PM IST
भारतीय रेलवे की पूरी कोशिश है कि रेलगाड़ियां समय से चलें और उनकी मानक गति भी बरकरार रहे। रेलवे बोर्ड की कोशिश इस लक्ष्य को जल्द हासिल करने की है। रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष अश्वनी लोहानी से ‘हिन्दुस्तान’ के विशेष संवाददाता अरविंद सिंह ने रेलवे से जुड़े तमाम मुद्दों पर बातचीत की।
रेलवे में किन सुधारों पर आपका फोकस है?
यात्रियों की सुरक्षा, संरक्षा और ट्रेनें समय पर चलें, यह मेरी पहली प्राथमिकता है। ट्रेनों की रफ्तार के साथ सफर भी सुरक्षित हो, रेल यात्रियों खासकर महिलाओं की सुरक्षा के इंतजाम पुख्ता हों।
लेकिन ट्रेनें लगातार लेट चल रही हैं?
पिछले साल ट्रेनों के पटरी से उतरने की घटनाओं के बाद पटरियों की मरम्मत का कार्य तेज किया गया है। ट्रेनों का परिचालन रोके बगैर पटरियां ठीक की जा रही हैं। कुछ विलंब जरूर हो रहा है, लेकिन जल्दी यह कार्य पूरा हो जाएगा। 2019 के अंत या 2020 के शुरुआत से ट्रेनों की रफ्तार और समय पालन सौ फीसदी ठीक हो जाएगा। अभी भी यह 75 फीसदी के करीब है।
सेमी हाई स्पीड ट्रेनें कब तक पटरी पर दौड़ने लगेंगी ?
इसी साल सितंबर से तेज रफ्तार ट्रेनों का दौर शुरू हो जाएगा। सेमी हाई स्पीड ट्रेन सेट (टी-18) और ट्रेन सेट (टी-20) नई डिजाइन और आधुनिक तकनीक की लग्जरी ट्रेनें हैं। पहली टी-18 सितंबर में पटरी पर दौड़ने लगेगी। रूट तय नहीं है लेकिन शताब्दी के रूट पर चलाई जाएगी। इसमें प्रत्येक कोच में पावर जेनरेशन है। इसलिए ट्रेन सेट तेजी से रुकती और उतनी तेजी से रफ्तार पकड़ती है। पटरियों में बगैर कोई बदलाव किए इसे 160 से 200 किलोमीटर प्रतिघंटा दौड़ाया जा सकता है। टी-18 में सीटें होंगी जबकि टी-20 में बर्थ होंगी। दरवाजे आटोमैटिक होंगे। कोच की सीढ़ियां ऑटोमैटिक (स्लाइ¨डग स्टेप) आगे आकर प्लेटफार्म से सट जाएंगी। जिससे प्लेटफार्म व कोच के बीच का गैप पूरी तरह से समाप्त हो जाएगा।
तो क्या पुराने दौर की ट्रेनें हट जाएंगी ?
राजधानी, शताब्दी, दुरंतो आदि प्रीमियम ट्रेनों में आधुनिक एलएचबी कोच लग रहे हैं। संरक्षा और रफ्तार के मामले में एलएचबी कोच पूरी तरह खरे हैं। हां, मेल-एक्सप्रेस व पैसेंजर ट्रेनों के पुराने कोच का निर्माण पूरी तरह से बंद किया जा रहा है। यात्री ट्रेनों में सिर्फ एलएचबी कोच लगाए जाएंगे। पुराने कोचों को चरणबद्ध तरीके से चलन से बाहर कर दिया जाएगा।
सफर के दौरान खानपान से जुड़ी शिकायतें कम नहीं हो रही हैं?
नई नीति के तहत खाना बनाने और आपूर्ति का काम अलग-अलग किया जा रहा है। इससे कैटरिंग पर काबिज ठेकेदारों का दबदबा खत्म होगा। रेलवे 50 बेस किचन भी बना रहा है। कंबो मील का विकल्प भी दे रहे हैं। प्रीमियम ट्रेनों में फ्लैक्सी फेयर जारी रहेगा या हटेगा ?इसे तर्क संगत बनाया जाएगा। इसके लिए एक समिति गठित की गई है।
डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसी) कब पूरा होगा ?
इसे 2020 तक पूरा करेंगे। इसी नवंबर से 800 किलोमीटर में मालगाड़ियां चलने लगेंगी। सोननगर से मुगलसराय के बीच लगभग काम पूरा हो गया है और खुर्जा से भावपुर के बीच नवंबर 2018 तक परियोजना पूरी हो जाएगी

Monday 12 February 2018

रेलवे अस्पतालों का सच फिर आया सामने, वसूली करता डॉक्टर गिरफ्तार

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